सोमवार, 27 जनवरी 2025

चांद पर ऑक्सीजन बनाने की कोशिश कितनी कामयाब होगी??

एक विशाल गोल दायरे के अंदर कुछ वैज्ञानिक अपने उपकरण को लेकर जुटे हुए हैं. उनके सामने चांदी के रंग की एक धातु की मशीन है जो रंगीन तारों से लिपटी है. ये एक बॉक्स है. 


वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि ये बॉक्स एक दिन चांद पर ऑक्सीजन बनाने में कामयाब होगा. इस गोल दायरे से इस टीम के चले जाने के बाद प्रयोग शुरू हो गया. बॉक्सनुमा मशीन उस धूल भरी चीज (रिगलिथ) को अपनी ओर खींचने लगी जो चांंद की मिट्टी जैसी लगती है. दरअसल ये चीज धूल और नुकीले कंकड़ से बनी होती है और इसकी एक रासायनिक बनावट होती है. देखने में ये बिल्कुल चांद की मिट्टी जैसी लगती है. जल्द ही ये पपड़ीनुमा चीज तरल बन गई. इसकी एक परत को 16 हजार 500 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा तापमान पर गर्म किया गया. इसमें कुछ रिएक्टेंट डालते ही इसमें मौजूद ऑक्सीजन धारक अणुओं में बुलबुले आने लगते हैं. इस पर काम करने वाली निजी कंपनी सिएरा स्पेस के प्रोग्राम मैनेजर ब्रैंट व्हाइट कहते हैं, 

''पृथ्वी पर उपलब्ध जिस भी चीज का हम परीक्षण कर सकते थे हम कर चुके हैं. अब हमारा अगला कदम चांद पर जाना है.'' सिएरा स्पेस का प्रयोग इस गर्मी में नासा के जॉनसन स्पेस सेंटर में शुरू हुआ है. हालांकि इसमें वैज्ञानिक उस टेक्नोलॉजी को हासिल करने से बहुत दूर है, जिसे वो निकट भविष्य में चांद पर रहने वाले अंतरिक्ष यात्रियों को दे सकें. अंतरिक्ष यात्रियों को सांस लेने के लिए ऑक्सीजन की जरूरत होती है. 

अंतरिक्ष यानों के लिए रॉकेट ईंधन भी बनाना होगा. ये अंतरिक्ष यान चांद से छोड़े जा सकते हैं और आगे ये मंगल ग्रह तक सफर कर सकते हैं. चांद पर रहने वाले लोगों को धातुओं की भी जरूरत हो सकती है. वे इन्हें चांद की सतह पर बिखरे धूल से भरे मलबे से भी बना सकते हैं. बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि क्या हम इस तरह के संसाधनों को हासिल करने की क्षमता रखने वाले रिएक्टर बना सकते हैं. 

 व्हाइट ने विकल्पों के बारे में समझाते हुए कहा कि इससे मिशन की लागत काफी कम हो सकती है. मिशन का अरबों डॉलर बच सकता है. पृथ्वी से चांद तक बहुत सारा ऑक्सीजन और धातुओं को ले जाना काफी मुश्किल और खर्चीला काम होगा. संयोग से चांद पर पाई जाने वाली धातुओं की पपड़ी (रिगलिथ) मेटल ऑक्साइड से भरी हुई है. धरती पर तो मेटल ऑक्साइड से ऑक्सीजन निकालने का विज्ञान आसान है और इसके बारे सबको पता है, लेकिन चांद पर ये काम ज्यादा कठिन होगा, क्योंकि पृथ्वी और चांद का माहौल अलग है. 

 पिछले साल जुलाई और अगस्त में सिएरा के स्पेस टेस्ट जिस विशाल गोलाकार चैंबर में हुए थे, उसने चांद जैसा माहौल तैयार कर दिया था. चैंबर की मदद से चांद जैसे तापमान और दबाव को बनाने में कामयाबी मिली थी. Source : BBC Hindi News Portal
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